जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (Jawahar lal Univesity student Union) का चुनाव परिणाम कभी भी घोषित हो सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान परिणाम घोषित करने की इजाजत दे दी है। इसी महीने 6 सितंबर को जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए मतदान हुआ था।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने पिछली सुनवाई में परिणाम न जारी करने का आदेश जेएनयू के दो छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि चुनाव समिति ने लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों की अनदेखी करके छात्रसंघ का चुनाव कराया है।
गौरतलब है कि अंशुमान दुबे और अनुज कुमार द्विवेदी ने याचिका में जेएनयूएसयू का चुनाव लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों के तहत कराने की मांग की थी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन इलेक्शन कमेटी और मामले से जुड़े सभी पक्षों को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिए थे।
दिल्ली हाई कोर्ट को को मंगलवार की सुनवाई में तय करना था कि जेएनयू में हुए छात्रसंघ चुनावों में लिंग दो कमेटी की सिफारिशों का पालन किया गया या नहीं? और काउंसलर्स के उम्मीदवारी को निरस्त करने के कमेटी के पास मजबूत और पर्याप्त आधार थे या नहीं?इससे पहले जेएनयू छात्र संघ चुनाव की चुनाव समिति ने मतगणना 8 सितंबर (रविवार) की रात 9 बजे पूरी कर ली थी। जेएनयू छात्र संघ चुनाव समिति के मुख्य चुनाव आयुक्त शशांक पटेल ने कहा था कि हमारी तरफ से विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव की मतगणना पूरी कर ली गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने लगा दी थी रोक
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के तहत चुनाव के अंतिम नतीजों पर रोक लगाई गई थी। हमने विश्वविद्यालय के डीन से समय मांगा है ताकि हम उन्हें अंतिम नतीजों की जानकारी सील बंद लिफाफे में सौंप सकें।
छात्र संघ के केंद्रीय पैनल के चारों पदों पर रुझानों के अनुसार, वाम एकता आगे हैं। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार सभी पदों पर दूसरे स्थान पर रह सकते हैं।
एसएफआइ की कार्यकर्ता
मतगणना एजेंटों से मिली जानकारी के मुताबिक, अध्यक्ष पद पर वाम एकता की आईशी घोष अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी के मनीष जांगिड़ से 1,185 मतों से आगे रहीं। आईशी स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) की कार्यकर्ता हैं।